राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने 43 प्रकरणों की सुनवाई करते हुए 6 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष अंबिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में बुधवार को प्रदेश स्तर पर 313 वीं व जिला स्तर पर 09 वीं सुनवाई हुई। सरगुजा एवं सूरजपुर जिले को मिलाकर जन सुनवाई में कुल 43 प्रकरणों में सुनवाई हुई, जिनमें से आयोग ने 06 प्रकरण नस्तीबद्ध किया, 03 प्रकरण सुनवाई हेतु रायपुर भेजा गया। सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर सरगुजा अमृत लाल ध्रुव उपस्थित रहे।
एक प्रकरण में घरेलू काम करने वाली बाई पर 8 तोला सोना के जेवरातों की चोरी करने के मामले में आरोप लगाने वाले व्यक्ति और पीड़ित महिला का पक्ष सुनने के बाद आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने पुलिस की भूमिका को सवालों के घेरे में लिया। मामले में एक पार्षद भी घेरे में आए, जिन्होंने चोरी का आरोप लगाने वाले व्यक्ति की तरफदारी की थी और वे आयोग की सुनवाई में उपस्थित भी थे। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि चोरी के झूठे मामले में गरीब महिला को पुलिस से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करवाया गया। सूरजपुर थाना प्रभारी विमलेश दुबे ने बिना अपराध दर्ज किए तीन दिनों तक महिला के साथ मारपीट करते हुए उस पर अत्याचार किया, जिसमें 3 साल का महिला का बच्चा भी साथ में था। उन्होंने चोरी का आरोप लगाने वाले व्यक्ति से एक लाख रुपये कंपनसेशन देने के लिए कहा, लेकिन चोरी के झूठे आरोप में प्रताड़ित हुई महिला इसके लिए तैयार नहीं हुई। महिला का कहना था कि कंपनसेशन लेने मात्र से उसे जिस प्रकार मासूम बच्चे के साथ घंटों थाने में रहना पड़ा और मारपीट, प्रताड़ित किया गया, यह जख्म नहीं भर सकता है। पुलिस 10 माह से ऊपर हो गए चोरी गए जेवरातों को आज तक बरामद नहीं कर पाई है। महिला आयोग अध्यक्ष ने कहा कैसा पुलिस अफसर है, जो महिला को अपने कस्टेडी में 3 दिन रखकर प्रताड़ित करने के बाद भी चोरी गए जेवरातों को बरामद नहीं कर पाया। उन्होंने कहा थानेदार अगर दोषी पाया जाता है, तो उसके विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज होगा। आयोग अध्यक्ष ने आईजी और सूरजपुर के पुलिस अधीक्षक को संबंधित पुलिस अधिकारी को 30 मई को रायपुर में आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया है। इस पूरे मामले की एसपी सूरजपुर से जांच करा कर आयोग को रिपोर्ट प्रेषित करने कहा गया।
सरगुजा जिला के पुलिस चौकी कुन्नी अंतर्गत फांसी पर 6 वर्षीय पुत्री के साथ मां का शव लटका मिला था। दोनों का पैर जमीन को छू रहा था। फांसी लगाने के संदेहास्पद मामले में स्वजनों ने हत्या के बाद फांसी पर लटकाने का आरोप लगाया था। कार्रवाई से असंतुष्ट स्वजन ने इसकी जानकारी राज्य महिला आयोग को देकर न्याय की मांग की थी। आयोग अध्यक्ष के निर्देश पर सुनवाई में तत्कालीन पुलिस चौकी प्रभारी कुन्नी, वर्तमान पदस्थापना होलीक्रास अस्पताल अंबिकापुर, एएसआई मनोज सिंह और वर्तमान यातायात प्रभारी अंबिकापुर अश्वनी सिंह उपस्थित हुए। इनसे की गई विवेचना को लेकर जवाब-तलब किया गया, जिस पर उन्होंने बताया कि एफएसएल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सक के द्वारा सामने लाए गए तथ्य के आधार पर उन्होंने मामला दर्ज किया है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया और शेष सभी अनावेदकों की आवश्यक उपस्थिति के लिए एसपी एवं आईजी सरगुजा को पत्र भेजा गया। चौकी प्रभारी कुन्नी को समस्त अनावेदक को लेकर रायपुर महिला आयोग की सुनवाई में 30 मई को उपस्थित होने कहा गया है। आयोग अध्यक्ष ने पुलिस अधिकारियों से फोन पर भी चर्चा की। मृतका का फोटो एवं नोटशीट की कॉपी सरगुजा आईजी को भेजी जाएगी। पूरे मामले में समस्त जांच अधिकारियों के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करने की अनुशंसा की गई है। एसपी सरगुजा को 15 दिन के अंदर इस प्रकरण की जांच करा कर रिपोर्ट प्रेषित करने का पत्र भी भेजा जाएगा, ताकि आगामी सुनवाई 30 मई के पूर्व रिपोर्ट प्राप्त हो और निर्णय लिया जा सके। पत्रकारों से बातचीत के दौरान राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने मां-बेटी का शव फांसी पर झूलने के मामले में कहा कि अगर इनके द्वारा फांसी लगाया गया होता तो गले में निशान के साथ जीभ बाहर आना चाहिए, लेकिन ऐसा सामने नहीं है। उन्होंने कहा कि 13 साल और 32 साल से पुलिस विभाग में नौकरी कर रहे अधिकारियों के द्वारा की गई जांच, विवेचना कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने अभिमत का उपयोग नहीं किया और वास्तविक अपराध को सामने लाने की जिम्मेदारी पूरी नहीं की।
एक प्रकरण में उपस्थित आवेदक स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल में कार्यरत था। अनावेदक के खिलाफ आवेदिका शिकायत की थी कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न 2013 के तहत कमेटी का गठन होना था। जांच में प्राचार्य को दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित किया गया था। इसके बाद उन्हें 80 किलोमीटर दूर देवगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया, जो कानून के तहत गलत है। प्राचार्य और शिक्षिका को हटाया गया। आवेदिका देवगढ़ में कार्य करने के दौरान अस्वस्थ हो गई, अवकाश लेने के कारण उसे सेवा से पृथक करने की सूचना 28 अप्रैल 2025 को देकर सेवा से पृथक कर दिया गया, उक्त नोटिस पूरी तरह अवैधानिक है। कार्रवाई में इस नोटिस के आधार पर स्थगन आदेश दिया गया कि कलेक्टर सरगुजा इस आर्डर शीट के आधार पर अपने पास बुलाकर समस्त दस्तावेज देखें और आयोग को 3 माह के अंदर अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें, इसके बाद प्रकरण की सुनवाई रायपुर में की जाएगी। इस दौरान कहा गया कि पीड़िता और प्रताड़ित महिला को प्रताड़ना से बचाना लैंगिक उत्पीड़न 2013 का मुख्य उद्देश्य है, अत: आवेदिका को लखनपुर में अथवा केशवपुर स्कूल में कार्य करने के लिए अनुमति दें और जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश 28 अप्रैल 2025 का आदेश पूर्णत: निरस्त करने की कार्रवाई की जाए। अनुसंशा की कापी कलेक्टर सरगुजा को नि:शुल्क भेजी गई है। रिपोर्ट प्रस्तुत करने पश्चात आगामी सुनवाई की जाएगी।
संतान से मिलने का दिया आदेश
एक अन्य प्रकरण में दंपती लगभग 6 माह से अलग रह रहे है, उनकी दो संतान हैं। अनावेदक बैंगलोर के कोरमंगला में साइंस सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, लेकिन वर्क होम कार्य करता है। इनका वेतन 1.25 लाख है, वह दोनों बच्चों को अपने पास रखा है और आवेदिका से मिलने नहीं देता है। प्रकरण को छह माह के लिए संरक्षण अधिकारी वित्तबाला को दिया गया, कि वह उभयपक्ष को सामने बुलाए और दोनों बच्चों से मिलने दिया जाए, अनावेदक 25 हजार रुपये प्रति माह संरक्षण अधिकारी के सामने आवेदिका को देगा। छह माह की निगरानी के पश्चात संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर सुनवाई हेतु बुलाया जाएगा।
मासूम बच्चों को किया पति के सुपुर्द
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के समक्ष दो मासूम बच्चों के साथ एक विवाहिता पहुंची और बताई कि उसका पति बिना तलाक लिए दूसरी औरत के साथ शादी करके रह रहा है, जिससे बच्चे भी हैं। बच्चों के भरण-पोषण के नाम पर उसका पति पल्ला झाड़ रहा है। महिला ने कहा जब बच्चों का पालन-पोषण करने की हैसियत नहीं है, तो दूसरा विवाह क्यों किया। आयोग अध्यक्ष ने पति को जमकर फटकार लगाई और मौके पर ही महिला को दोनों मासूम बच्चों को पति के सुपुर्द करने के लिए कहा। संरक्षण अधिकारी एक साल तक निगरानी करेंगे कि अनावेदक दोनों बच्चों की परवरिश कर रहा है या नहीं। ऐसा नहीं होने पर अनावेदक एवं उसकी दूसरी पत्नी के खिलाफ थाना में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष के सख्त तेवर को देखकर मौजूद अन्य आवेदक भी सकते में आ गए। पिछली सुनवाई में भी उक्त युवक उपस्थित हुआ था और कान पकड़कर माफी मांगते हुए बच्चों की बेहतर परवरिश और भरण-पोषण के लिए राशि देने आश्वस्त किया था।राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने 43 प्रकरणों की सुनवाई करते हुए 6 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष अंबिकापुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में बुधवार को प्रदेश स्तर पर 313 वीं व जिला स्तर पर 09 वीं सुनवाई हुई। सरगुजा एवं सूरजपुर जिले को मिलाकर जन सुनवाई में कुल 43 प्रकरणों में सुनवाई हुई, जिनमें से आयोग ने 06 प्रकरण नस्तीबद्ध किया, 03 प्रकरण सुनवाई हेतु रायपुर भेजा गया। सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर सरगुजा अमृत लाल ध्रुव उपस्थित रहे।
एक प्रकरण में घरेलू काम करने वाली बाई पर 8 तोला सोना के जेवरातों की चोरी करने के मामले में आरोप लगाने वाले व्यक्ति और पीड़ित महिला का पक्ष सुनने के बाद आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने पुलिस की भूमिका को सवालों के घेरे में लिया। मामले में एक पार्षद भी घेरे में आए, जिन्होंने चोरी का आरोप लगाने वाले व्यक्ति की तरफदारी की थी और वे आयोग की सुनवाई में उपस्थित भी थे। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि चोरी के झूठे मामले में गरीब महिला को पुलिस से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करवाया गया। सूरजपुर थाना प्रभारी विमलेश दुबे ने बिना अपराध दर्ज किए तीन दिनों तक महिला के साथ मारपीट करते हुए उस पर अत्याचार किया, जिसमें 3 साल का महिला का बच्चा भी साथ में था। उन्होंने चोरी का आरोप लगाने वाले व्यक्ति से एक लाख रुपये कंपनसेशन देने के लिए कहा, लेकिन चोरी के झूठे आरोप में प्रताड़ित हुई महिला इसके लिए तैयार नहीं हुई। महिला का कहना था कि कंपनसेशन लेने मात्र से उसे जिस प्रकार मासूम बच्चे के साथ घंटों थाने में रहना पड़ा और मारपीट, प्रताड़ित किया गया, यह जख्म नहीं भर सकता है। पुलिस 10 माह से ऊपर हो गए चोरी गए जेवरातों को आज तक बरामद नहीं कर पाई है। महिला आयोग अध्यक्ष ने कहा कैसा पुलिस अफसर है, जो महिला को अपने कस्टेडी में 3 दिन रखकर प्रताड़ित करने के बाद भी चोरी गए जेवरातों को बरामद नहीं कर पाया। उन्होंने कहा थानेदार अगर दोषी पाया जाता है, तो उसके विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज होगा। आयोग अध्यक्ष ने आईजी और सूरजपुर के पुलिस अधीक्षक को संबंधित पुलिस अधिकारी को 30 मई को रायपुर में आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया है। इस पूरे मामले की एसपी सूरजपुर से जांच करा कर आयोग को रिपोर्ट प्रेषित करने कहा गया।
सरगुजा जिला के पुलिस चौकी कुन्नी अंतर्गत फांसी पर 6 वर्षीय पुत्री के साथ मां का शव लटका मिला था। दोनों का पैर जमीन को छू रहा था। फांसी लगाने के संदेहास्पद मामले में स्वजनों ने हत्या के बाद फांसी पर लटकाने का आरोप लगाया था। कार्रवाई से असंतुष्ट स्वजन ने इसकी जानकारी राज्य महिला आयोग को देकर न्याय की मांग की थी। आयोग अध्यक्ष के निर्देश पर सुनवाई में तत्कालीन पुलिस चौकी प्रभारी कुन्नी, वर्तमान पदस्थापना होलीक्रास अस्पताल अंबिकापुर, एएसआई मनोज सिंह और वर्तमान यातायात प्रभारी अंबिकापुर अश्वनी सिंह उपस्थित हुए। इनसे की गई विवेचना को लेकर जवाब-तलब किया गया, जिस पर उन्होंने बताया कि एफएसएल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सक के द्वारा सामने लाए गए तथ्य के आधार पर उन्होंने मामला दर्ज किया है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया और शेष सभी अनावेदकों की आवश्यक उपस्थिति के लिए एसपी एवं आईजी सरगुजा को पत्र भेजा गया। चौकी प्रभारी कुन्नी को समस्त अनावेदक को लेकर रायपुर महिला आयोग की सुनवाई में 30 मई को उपस्थित होने कहा गया है। आयोग अध्यक्ष ने पुलिस अधिकारियों से फोन पर भी चर्चा की। मृतका का फोटो एवं नोटशीट की कॉपी सरगुजा आईजी को भेजी जाएगी। पूरे मामले में समस्त जांच अधिकारियों के खिलाफ शोकॉज नोटिस जारी करने की अनुशंसा की गई है। एसपी सरगुजा को 15 दिन के अंदर इस प्रकरण की जांच करा कर रिपोर्ट प्रेषित करने का पत्र भी भेजा जाएगा, ताकि आगामी सुनवाई 30 मई के पूर्व रिपोर्ट प्राप्त हो और निर्णय लिया जा सके। पत्रकारों से बातचीत के दौरान राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने मां-बेटी का शव फांसी पर झूलने के मामले में कहा कि अगर इनके द्वारा फांसी लगाया गया होता तो गले में निशान के साथ जीभ बाहर आना चाहिए, लेकिन ऐसा सामने नहीं है। उन्होंने कहा कि 13 साल और 32 साल से पुलिस विभाग में नौकरी कर रहे अधिकारियों के द्वारा की गई जांच, विवेचना कार्रवाई संतोषजनक नहीं है। दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने अभिमत का उपयोग नहीं किया और वास्तविक अपराध को सामने लाने की जिम्मेदारी पूरी नहीं की।
एक प्रकरण में उपस्थित आवेदक स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मिडियम स्कूल में कार्यरत था। अनावेदक के खिलाफ आवेदिका शिकायत की थी कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न 2013 के तहत कमेटी का गठन होना था। जांच में प्राचार्य को दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित किया गया था। इसके बाद उन्हें 80 किलोमीटर दूर देवगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया, जो कानून के तहत गलत है। प्राचार्य और शिक्षिका को हटाया गया। आवेदिका देवगढ़ में कार्य करने के दौरान अस्वस्थ हो गई, अवकाश लेने के कारण उसे सेवा से पृथक करने की सूचना 28 अप्रैल 2025 को देकर सेवा से पृथक कर दिया गया, उक्त नोटिस पूरी तरह अवैधानिक है। कार्रवाई में इस नोटिस के आधार पर स्थगन आदेश दिया गया कि कलेक्टर सरगुजा इस आर्डर शीट के आधार पर अपने पास बुलाकर समस्त दस्तावेज देखें और आयोग को 3 माह के अंदर अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें, इसके बाद प्रकरण की सुनवाई रायपुर में की जाएगी। इस दौरान कहा गया कि पीड़िता और प्रताड़ित महिला को प्रताड़ना से बचाना लैंगिक उत्पीड़न 2013 का मुख्य उद्देश्य है, अत: आवेदिका को लखनपुर में अथवा केशवपुर स्कूल में कार्य करने के लिए अनुमति दें और जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश 28 अप्रैल 2025 का आदेश पूर्णत: निरस्त करने की कार्रवाई की जाए। अनुसंशा की कापी कलेक्टर सरगुजा को नि:शुल्क भेजी गई है। रिपोर्ट प्रस्तुत करने पश्चात आगामी सुनवाई की जाएगी।
संतान से मिलने का दिया आदेश
एक अन्य प्रकरण में दंपती लगभग 6 माह से अलग रह रहे है, उनकी दो संतान हैं। अनावेदक बैंगलोर के कोरमंगला में साइंस सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, लेकिन वर्क होम कार्य करता है। इनका वेतन 1.25 लाख है, वह दोनों बच्चों को अपने पास रखा है और आवेदिका से मिलने नहीं देता है। प्रकरण को छह माह के लिए संरक्षण अधिकारी वित्तबाला को दिया गया, कि वह उभयपक्ष को सामने बुलाए और दोनों बच्चों से मिलने दिया जाए, अनावेदक 25 हजार रुपये प्रति माह संरक्षण अधिकारी के सामने आवेदिका को देगा। छह माह की निगरानी के पश्चात संरक्षण अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर सुनवाई हेतु बुलाया जाएगा।
मासूम बच्चों को किया पति के सुपुर्द
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक के समक्ष दो मासूम बच्चों के साथ एक विवाहिता पहुंची और बताई कि उसका पति बिना तलाक लिए दूसरी औरत के साथ शादी करके रह रहा है, जिससे बच्चे भी हैं। बच्चों के भरण-पोषण के नाम पर उसका पति पल्ला झाड़ रहा है। महिला ने कहा जब बच्चों का पालन-पोषण करने की हैसियत नहीं है, तो दूसरा विवाह क्यों किया। आयोग अध्यक्ष ने पति को जमकर फटकार लगाई और मौके पर ही महिला को दोनों मासूम बच्चों को पति के सुपुर्द करने के लिए कहा। संरक्षण अधिकारी एक साल तक निगरानी करेंगे कि अनावेदक दोनों बच्चों की परवरिश कर रहा है या नहीं। ऐसा नहीं होने पर अनावेदक एवं उसकी दूसरी पत्नी के खिलाफ थाना में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। सुनवाई के दौरान आयोग अध्यक्ष के सख्त तेवर को देखकर मौजूद अन्य आवेदक भी सकते में आ गए। पिछली सुनवाई में भी उक्त युवक उपस्थित हुआ था और कान पकड़कर माफी मांगते हुए बच्चों की बेहतर परवरिश और भरण-पोषण के लिए राशि देने आश्वस्त किया था।