बैंक सखी सेे 11 करोड़ का किया लेन-देन
अंबिकापुर। गांव की गलियों से निकलकर सैकड़ों महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल बन चुकी हंै। बैंक सखी बालेश्वरी यादव, के जीवन का संघर्ष और सफलता आज अन्य महिलाओं को प्रेरित कर रहा है। एक समय था जब बालेश्वरी के पति ने उनको और उनके बच्चे को त्याग दिया था, परित्यक्त के रूप में जीवन जीने को मजबूर बालेश्वरी आज न केवल स्वयं आत्मनिर्भर हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनके जीवन में बदलाव ला रही हैं।
बालेश्वरी ने बताया कि 2013 में उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई स्वयं सहायता समूह से अपनी यात्रा की शुरूआत की, तब उनकी मासिक आय मात्र 1,200 हुआ करती थी, लेकिन उनके हौसले और मेहनत ने उन्हें धीरे-धीरे रिसोर्स बुक कीपर से बैंक सखी के पद तक पहुंचाया। इससे उन्हें 15-16 हजार रुपये तक की मासिक आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि बैंक सखी बनने के बाद से अब तक 11 करोड़ रुपये का वे लेन-देन कर चुकी हैं, जिससे उन्हें 2 लाख 22 हजार रुपये कमीशन मिला है। बालेश्वरी यादव ने शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं को गांव तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, उन्होंने 15,899 हितग्राहियों को 47 लाख 24 हजार रुपये वृद्धा पेंशन का वितरण किया है। मनरेगा के 10,266 लोगों को 32 लाख 53 हजार रुपये वितरण किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के 22,500 हितग्राहियों को 23 लाख रुपये से अधिक का वितरण किया। बैंक में 2.50 करोड़ रुपये जमा कराया है, साथ ही 566 लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, 447 लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना और 667 लोगों को अटल पेंशन योजना से जोड़ा है।
अकेले, मगर हार नहीं मानने वाली मां
बालेश्वरी का बेटा 16 साल का हो चला है। उन दिनों को याद करते हुए बालेश्वरी कहती हैं कि, जब पति ने छोड़ा, तो लगा जीवन खत्म हो गया, लेकिन स्वयं सहायता समूह ने उन्हें नया रास्ता दिखाया। आज वे न सिर्फ अपने बेटे को पढ़ा रही हैं, बल्कि सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। शासन की योजना और बिहान से उन्हें सहारा मिला, जिसकी बदौलत आज उन्हें लोग लखपति दीदी के नाम से जानते हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के शासन में महिला सशक्तिकरण, आर्थिक स्वावलंबन और सामाजिक बदलाव के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आजीविका गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है, जिससे आज महिलाएं सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बन रही है।
