सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कई कड़े सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि आखिर मनी लॉन्ड्रिंग कानून (पीएमएलए) के मामलों में दोषसिद्धि की दर क्या है? कोर्ट ने ये भी कहा कि आप व्यक्ति को सालों तक जेल में रखते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप-सचिव सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस दौरान पीठ ने कहा कि चौरसिया एक साल और नौ महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं, उनके खिलाफ आरोप तय होना बाकी है और सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है। इसी के साथ कोर्ट ने सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत दे दी। कोर्ट ने यह फैसला उनकी हिरासत में बिताए गए समय और अभी तक आरोप तय न होने को ध्यान में रखते हुए लिया। सौम्या चौरसिया छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व उप सचिव रही हैं। उन पर कोयला घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोप लगाए गए हैं। वह पिछले 1 साल और 9 महीनों से जेल में हैं।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भुइयां ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उनके कमजोर दोषसिद्धि दर और आरोप तय किए बिना लोगों को लंबे समय तक जेल में रखने की प्रवृत्ति को लेकर फटकार लगाई। उन्होंने पूछा, “बिना आरोप तय किए, आप कितने समय तक किसी व्यक्ति को जेल में रख सकते हैं? अधिकतम सजा 7 साल की है! पीएमएलए मामलों में सजा की दर क्या है? संसद में कहा गया कि सिर्फ 41 मामलों में सजा हुई है। फिर? आप किसी व्यक्ति को वर्षों तक जेल में कैसे रख सकते हैं?” न्यायमूर्ति दत्ता ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जिन मामलों में वारंट जारी नहीं किए जा सके, क्या वह किसी व्यक्ति को जेल में रखने का आधार हो सकता है। अंततः अदालत ने अंतरिम जमानत प्रदान की और मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को निर्धारित की।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ चौरसिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 28 अगस्त, 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी तीसरी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी विचार व्यक्त किए और पक्षकारों को व्यापक सुनवाई का अवसर देने के उद्देश्य से उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की। अदालत ने चौरसिया को जमानत बांड भरने का निर्देश दिया, जो कि ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के अधीन होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राज्य सरकार चौरसिया को सिर्फ अंतरिम जमानत पर रिहा होने के कारण सेवा में बहाल न करे। वह आगे के आदेश तक निलंबित रहेंगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि चौरसिया को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने, गवाहों को प्रभावित न करने और सबूतों से छेड़छाड़ न करने, पासपोर्ट जमा कराने और देश छोड़ने से पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेने जैसी शर्तों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में जिन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया, उनमें कई बातें शामिल हैं। जैसे, चौरसिया ने 1 साल और 9 महीने की सजा काट ली है। सह-आरोपी में से कुछ को नियमित या अंतरिम जमानत मिल चुकी है। अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं

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कोई काम नहीं किया-अंबिकापुर। श्रमिक दिवस के अवसर पर गुरुवार 1 मई को जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में श्रमिकों का सम्मान कर उन्हें उपहार दिया गया। इस दौरान देश की श्रम शक्ति के उत्थान में कांग्रेस के योगदान और जाति जनगणना की कांग्रेस की मांग पूरी होने से श्रमिक वर्ग के उत्थान पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में शामिल श्रमिकों से बात कर उनकी समस्याओं को भी जाना गया। श्रमिकों की ओर से सर्वाधिक प्रमुख मांग असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा के साथ ही पेंशन और बीमा की रही।आयोजित सभा को संबोधित करते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा कि देश के श्रमिकों के हित में कांग्रेस ने देश में अनेक योजनाएं लागू की, जिससे संगठित और असंगठित सभी क्षेत्र के श्रमिकों को लाभ हुआ। विगत 11 वर्ष के कार्यकाल में मोदी सरकार श्रमिकों के हित में कोई कार्य नहीं कर पाई है। कांग्रेस के द्वारा लाई गई मनरेगा योजना को लगातार कमजोर किया जा रहा है। पूंजीपतियों के हित में मजदूरी में वाजिब इजाफा नहीं हो रहा है। सरकार की पूंजीवादी नीति के कारण श्रमिकों के साथ ही देश के नौकरी पेशा मध्यम वर्ग की कमर टूट रही है, जबकि पूंजीपतियों की आमदनी में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने संसद में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का आभार जताते हुए कहा कि उनके मुहिम और दबाव में मोदी सरकार जातीय जनगणना कराने जा रही है। इसके आंकड़े आने पर सर्वाधिक फायदा श्रमिक वर्ग को होगा। पूर्व केबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि विगत 11 वर्ष के मोदीजी के कार्यकाल में श्रमिकों और कृषकों के हित की बात स्थगित हो गई है। आय की असमानता बढ़ी है। जातीय जनगणना की मांग पूरी होने पर उन्होंने राहुल गांधी का आभार जताया है। श्रम कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शफी अहमद ने सभा में मौजूद श्रमिकों को जानकारी दी कि कांग्रेस के कार्यकाल में किस प्रकार श्रमिकों के हित की योजनाएं बनाई गई और उन्हें लागू किया गया। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद श्रमिकों को उन नियमों की जानकारी दी, जिससे श्रमिक कार्यस्थल की सुरक्षा के साथ ही भावी जीवन को भी सुरक्षित कर सकते हैं। कार्यक्रम को अन्य कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इस मौके पर 20 सूत्रीय कार्यक्रम के पूर्व उपाध्यक्ष अजय अग्रवाल,  हेमंत सिन्हा, मो. इस्लाम, अरविंद सिंह गप्पू, दुर्गेश गुप्ता, अनिल सिंह, शफीक खान, रामविनय सिंह, मेराज गुड्डू, जे. कुजूर, लालचंद यादव, अनूप मेहता, अशफाक अली, जीवन यादव, आतिश शुक्ला, शिवप्रसाद अग्रहरि, दीपक मिश्रा, संजय सिंह, दिलीप धर, शकीला सिद्दीकी, अनिता सिन्हा, चंचला सांडिल्य, रूपा ताम्रकार, अंजू सिंह, ममता सिंह, विजय बेक, अनुराग नामदेव, आदर्श बंसल, दिवाकर दुबे, इश्तेयाक खान मौजूद थे।