अंबिकापुर। ग्राफ्टेड तरबूज की नर्सरी से किसान भाइयों के बीच पुन: तरबूज की खेती लोकप्रिय हुई है। किसान भाइयों में नई उम्मीद का संचार हुआ है। अब बिल्ट बीमारी से तरबूज का पौधा नहीं मरेगा और रिकॉर्ड उत्पादन से किसानों की आय बढ़ेगी।
वर्ष 2024 में करजी फार्म्स द्वारा आयोजित ग्राफ्टेड तरबूज को लेकर ‘हार्वेस्ट डेÓ कार्यक्रम ने क्षेत्र के किसानों को तरबूज की खेती के लिए प्रेरित किया। इस दौरान किसानों को उन्नत किस्मों की खेती दिखाई गई। रोग प्रतिरोधक क्षमता और अधिक उत्पादन की संभावनाओं ने किसानों को तरबूज की खेती में दोबारा लौटने के लिए उत्साहित किया। करजी फार्म्स की पौधशाला से ग्राफ्टेड तरबूज के पौधों के रोपण के बाद किसान एक बार फिर तरबूज की खेती की ओर लौटे हैं। पहली बार ग्राफ्टेड तरबूज की खेती में 35 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दर्ज किया गया है। यह सफलता ग्राम बोझा के किसान धनेश्वर राजवाड़े ने आधुनिक तकनीकी और वैज्ञानिक मार्गदर्शन से प्राप्त की। ग्राफ्टेड तरबूज की खेती को सरगुज़ा के अलावा झारखंड में भी प्रयोग कर बेहतरीन उत्पादन लिया गया। तरबूज की यह किस्म रोग प्रतिरोधक होने के साथ-साथ अधिक उत्पादन देने में सक्षम है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तरीका क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। यह उपलब्धि सरगुजा को तरबूज उत्पादन में एक नई पहचान दिला सकती है। इसे तरबूज की खेती में अब तक का सबसे अधिक उत्पादन माना जा रहा है। किसानों ने बताया कि ग्राफ्टेड पौधे रोग प्रतिरोधक होने के साथ-साथ मौसम के अनुसार बेहतर अनुकूलन दिखाते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भविष्य में तरबूज उत्पादन को नया आयाम दे सकती है।

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